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तेरे ही नाम की स्तुति हो, हे ईश्वर, मेरे ईश्वर! मैं तेरा वह सेवक हूँ जिसने तेरी करुणामयी दया के आँचल को थाम लिया है और जो तेरी असीम दातारपन के आंचल से लिपट गया हूँ। तेरे नाम से जिसके द्वारा तूने सृष्टि की समस्त दृश्य तथा अदृश्य वस्तुओं को अपने अधीन किया है और जिसके द्वारा यह श्वांस, जो वस्तुतः जीवन ही है, समस्त सृष्टि में प्रवाहित की गई है, मैं याचना करता हूँ कि तू धरती तथा आकाश को आवृत करने वाली अपनी शक्ति से मुझे सबल बना और समस्त विपदाओं एवं रोगों से मेरी रक्षा कर। मैं साक्षी देता हूँ कि तू ही समस्त नामों का स्वामी है और तू वैसी ही आज्ञा देने वाला है जो तुझे प्रिय हो, तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं, सर्वशक्तिशाली, सर्वज्ञाता, सर्वप्रज्ञ!
हे मेरे स्वामी! मेरे लिये उसका विधान कर जो तेरे प्रत्येक लोक मे मेरे लिये कल्याणकारी हो। और तब मेरे लिये वह भेज जो तूने अपने चुने हुए प्राणियों के लिये निर्धारित किया है: ऐसे प्राणी, जिन्हें न तो दोष देने वालों का दोषारोपण, न ही अधर्मियों का कोलाहल और न ही तुझसे विमुख प्राणियों की आसक्तियाँ तेरी ओर उन्मुख होने से रोक सकी है।
तू सत्य ही, अपनी सर्वोपरि सत्ता से, संकट में सहायक है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है, परम बलशाली, सर्वशक्तिमान।
- Bahá'u'lláh