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हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! यह तेरा सेवक तेरी ओर बढ़ चला है। तेरे प्रेम के पथ में विचरण कर रहा है। तेरी उदारताओं की आशा करते हुए तेरे साम्राज्य पर भरोसा रखे हुए और तेरे वरदानों की मदिरा से मदहोश होकर तेरे प्रेम की मरूभूमि में भावना के उन्माद में भटक रहा है, तेरे अनुग्रहों की अपेक्षा रखे हुए। हे मेरे ईश्वर! अपने प्रति अनुराग की उसकी प्रचंडता को, तेरी स्तुति की इस निरंतरता को और तेरे प्रति प्रेम की प्रखरता को बढ़ा दे।
निश्चय ही तू परम उदार, भरपूर कृपा का स्वामी है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है। सदा क्षमाशील, सर्वदयामय।
- `Abdu'l-Bahá