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हे मेरे ईश्वर! ये तेरा सेवक है और तेरे सेवक का पुत्र है जिसने तुझ पर और तेरे चिन्हों में आस्था रखी है और जो तेरी ओर उन्मुख हुआ है तथा जो तेरे अतिरिक्त अन्य सब कुछ से अनासक्त हो चुका है। तू सत्य ही उन सब से, जो दया करते हैं, परम दयालु हैं।
हे तू, जो मनुष्यों के पापों को क्षमा करता है और उनके दोषों पर पर्दा डालता है, इसके साथ वैसा ही व्यवहार कर, जैसा कि तेरी उदारता के आकाश और तेरी कृपा के महासागर को शोभा देता है। अपनी ज्ञानातीत दया की परिधि में, जो धरती और आकाश की स्थापना से पहले भी विद्यमान थी, इसे प्रवेश दे। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है, तू है सदा क्षमाशील; परम उदार !
(इसके बाद महानतम नाम (अल्लाह-हो-अब्हा) अभिवादन का एक बार उच्चारण करने के बाद 19-19 बार दिये गये छंदों का निम्न प्रकार पाठ करें)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर की आराधना करते हैं।
(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के सम्मुख नमन करते हैं।
(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के प्रति आस्थावान हैं।
(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर की स्तुति करते हैं।
(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।
(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के प्रति धैर्यवान हैं ।
(19 बार)
(यदि दिवंगत आत्मा नारी है, तो प्रार्थना करने वाला कहे ”यह तेरी सेविका और तेरी सेविका की पुत्री है“ इत्यादि!)
- Bahá'u'lláh