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महिमा हो तेरी, हे ईश्वर, मेरे ईश्वर! अपनी अनन्त प्रभुसत्ता की शक्ति के सहारे जिसे तूने ऊपर उठाया है उसे गिरने न दे और जिसे तूने अपनी अनन्तता के मण्डप तले प्रवेश के योग्य बनाया है उसे अपने से दूर न रख। हे मेरे ईश्वर! क्या तू उसे अपने से दूर रखेगा, जिसे तूने अपनी प्रभुता की छाया दी है ? हे मेरी आकांक्षा! क्या तू उसे अपने से दूर कर देगा जिसके लिये तू आश्रय रहा है। जिसे तूने ऊपर उठाया है उसे तू नीचे नहीं गिरा सकता, जो तुझे याद करता रहा, क्या तू उसे भुला सकता है?
महिमा हो, सर्व महिमा हो तेरी! तू वह है जो अनन्तकाल से सम्पूर्ण सृष्टि का सम्राट रहा है और रहा है इसका गतिदाता और तू ही सदा रहेगा सभी सृजित वस्तुओं का स्वामी तथा नियंता। तू महिमावंत है, हे मेरे ईश्वर! यदि तू अपने सेवकों पर दया करना छोड़ देगा तो कौन उन पर दया करेगा? यदि तू अपने प्रियजनों को सहायता देना बंद कर देगा तो कौन है दूसरा जो सहायता दे सकेगा?
महिमा हो, सर्व महिमा हो तेरी। तू सत्य से अभीष्ट है और सत्य ही, हम सभी तेरी आराधना करते हैं, तू अपने न्याय में प्रकट है और सत्य ही हम सब इसके साक्षी है औैर सत्य ही, तू अपनी अनुकम्पाओं में प्रिय है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं, संकट में सहायक, स्वयंजीवी।
- Bahá'u'lláh