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हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! निश्चय ही तेरा यह सेवक तेरी दिव्य सर्वोच्चता के सम्मुख विनीत, तेरी एकता के द्वार पर विनत है; इसने तुझमें और तेरे छंदों में विश्वास किया, तेरे पावन शब्दों का साक्ष्य दिया है, तेरे प्रेम के प्रकाश से इसका पथ आलोकित हुआ है, तेरे ज्ञान के महासागर की अतल गहराइयों में जो खोया रहा है, जो तेरे पवन-झकोरों की ओर बढ़ा है, जिसने तुझ पर भरोसा किया है, जो तेरी ओर उन्मुख हुआ है, जिसने तेरी आराधना की और जो तेरी क्षमा के लिये आश्वस्त है।
इसने अपना भौतिक देहरूपी चोला छोड़ दिया है और इस चाह के साथ कि तुझसे मिलन होगा, अमरता के साम्राज्य की ओर प्रयाण किया है।
ईश्वर! इसे महिमामण्डित कर, अपनी सर्वोच्च दया के मण्डप तले इसे आश्रय दे, अपने महिमाशाली स्वर्ग में प्रवेश करा और अपनी गुलाब वाटिका में इसके अस्तित्व को सुनिश्चित कर, ताकि रहस्यों के लोक में यह प्रकाश-सिंधु में निमग्न हो जाये।
सत्य ही तू उदार, शक्तिशाली, दाता और क्षमादाता है।
- `Abdu'l-Bahá