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हे तू, जिसका मुखड़ा मेरी आराधना का लक्ष्य है, जिसका सौन्दर्य मेरा अभयस्थल है, जिसका आवास मेरा ध्येय है, जिसकी स्तुति मेरी आशा है, जिसका मंगल विधान मेरा सहचर है, जिसका प्रेम मेरे अस्तित्व का कारण है, जिसका स्मरण मेरी आशा है, जिसकी निकटता मेरी इच्छा है, जिसकी समीपता मेरी सर्वाधिक प्रिय इच्छा और सर्वोच्च आकांक्षा है। मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे उन वस्तुओं से वंचित न कर, जिसका विधान तूने अपने चुने हुए सेवकों के लिये किया है। अतः, मुझे इहलोक और परलोक का शुभ प्रदान कर।
सत्यतः, तू ही, समस्त मानवजाति का सम्राट है। तू सदा क्षमाशील, परम उदार है, तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है !
- Bahá'u'lláh