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मेरे ईश्वर, मेरे आराध्य, मेरे राजाधिराज, मेरी कामना! कौन सी जिह्वा तेरा धन्यवाद कर सकती है। मैं असावधान था, तूने मुझे जगाया। मैं तुझसे विमुख हो गया था, तूने मुझे अपनी ओर उन्मुख होने में सहायता दी, मैं तो मृतप्राय था, तूने मुझे जीवन के जल से चैतन्य किया। मैं मुरझा गया था, तूने उस सर्वदयामय की लेखनी से प्रवाहित अपनी वाणी की दिव्य धार से फिर से जीवन का दान दिया।
हे दिव्य मंगल विधान! समस्त अस्तित्व तेरे दातारपन से उत्पन्न हुए हैं, उसे अपनी उदारता के जल से वंचित मत कर और न ही तू उसे अपनी दया के महासिंधु तक आने से रोक। मैं तुझसे याचना करता हूँ कि सभी कालों और सभी परिस्थितियों में मुझे सहारा दे, मेरी सहायता कर। मैं तेरी कृपा के आकाश से तेरी उस पुरातन कृपा की कामना करता हूँ। तू सत्य ही, अक्षय सम्पदाओं का ईश्वर है और चिरंतनता के साम्राज्य का सम्प्रभु स्वामी है।
- Bahá'u'lláh