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हे ईश्वर! हम दयनीय हैं, हमें अपनी दया का दान दे। हम दरिद्र हैं, अपनी सम्पदा के महासागर से हमें एक अंश प्रदान कर; हम अभावग्रस्त हैं, हमारी आवश्यकता पूरी कर; हम पतित है, अपनी महिमा प्रदान कर। नभचर के पक्षी और धरती के पशु प्रतिदिन अपना आहार तुझसे ही प्राप्त करते हैं, और सभी प्राणी तेरी सार-सम्भाल और प्रेमपूर्ण कृपालुता का भाग पाते हैं।
इस निर्बल को अपनी अलौकिक कृपा से वंचित न कर और इस असहाय आत्मा को अपनी शक्ति के द्वारा अपनी अक्षय सम्पदाओं का दान दे।
हमें हमारा नित्य-प्रति का आहार प्रदान कर और हमारे जीवन की आवश्यकताओं को अपनी ऋद्धि-सिद्धि का दान दे, जिससे हम तेरे सिवा अन्य किसी पर निर्भर न रहें, पूर्णतया तेरे ही स्मरण में लीन रहें, तेरे पथ पर चलें, और तेरे रहस्यों को उजागर करें। तू सर्वशक्तिमान, सबको प्रेम करने वाला और मानवजाति का पालनहार है।
- `Abdu'l-Bahá