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हे मेरे ईश्वर, मेरे प्रियतम, मेरी आकांक्षा! मेरे एकाकीपन में मेरा सखा और मेरी इस निष्कासित अवस्था में मेरा संगी बन, मेरे शोक का निवारण कर, ऐसी कृपा कर कि मैं तेरी कीर्ति को समर्पित हो जाऊँ। अपने अतिरिक्त अन्य सब कुछ से मुझे विरक्त कर दे। अपनी पावनता की सुरभि द्वारा मुझे आकर्षित कर ले। ऐसी कृपा कर कि मैं तेरे लोक में उनका संगी बनूं, जो तुझे छोड़ अन्य सभी से अनासक्त हैं, जो तेरी पावन देहरी की सेवा की कामना रखते हैं और जो तेरे धर्म का कार्य करने के लिये कटिबद्ध खड़े हैं। मुझे सामर्थ्य दे कि मैं तेरी उन सेविकाओं में एक बन जाऊँ, जिन्होंने तेरी मंगलमय प्रसन्नता प्राप्त की है। सत्य ही, तू कृपालु है, उदार है।
- `Abdu'l-Bahá