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हे तुम, जो ईश्वर की ओर उन्मुख हो रहे हो! अपने नेत्र अन्य सभी वस्तुओं के प्रति मूंद लो और उस सर्वमहिमामय के साम्राज्य के प्रति उन्हें खोल लो। तुम्हारी जो कुछ भी कामना हो, केवल एक उसी से मांगो, जो कुछ भी तुम पाना चाहो, केवल उसी से याचना करो। एक दृष्टि में ही वह लाखों आशाओं की पूर्ति करता है, एक नज़र से ही वह हर घाव पर शीतल मरहम लगा देता है, एक संकेत मात्र से ही वह शोक की बेड़ियों से हृदयों को सदा के लिए मुक्त कर देता है। वह जो करता है, करता ही है और हमारे पास कौन सा उपाय है? जो उसकी इच्छा होती है वह उसे पूरा करता है, जो उसे प्रिय होता है वह वैसा ही विधान प्रकट करता है। तब तुम्हारे लिये यही उचित है कि तुम अधीनता में अपना सर झुका लो और सर्वदयामय ईश्वर में सम्पूर्ण भरोसा रखो।
- `Abdu'l-Bahá