Return   Facebook

The Universal House of Justice

Ridván 2023

To the Bahá’ís of the World

Dearly loved Friends,

हम एक ऐसे समदु ाय को संबोधत करत ेहुए अ यतं आनंद अनभु व कर रहे ह िजसक

उ च मनोवृ और उ च संक प इसके उ च आ वान के अनुकूल ह। कतना महान, अ यंत ह महान है आपके लए हमारा ेम, और कैसे हमार भावनाएं ऊंची उड़ान भरने लगती ह, जब हम बहाउ लाह क श ाओं पर आधारत जीवन जीने और उनके कटकरण के जीवनदायी जल को एक गंभीर प से यासे व व को दान करने के आपके ईमानदार एवं समपत यास को देखते ह। आपके उ दे य क बल भावना प ट है। सार एवं सगु ठन, सामािजक या, और समाज के संवाद म भागीदार तेजी से आगे बढ़ रह है, और समदु ाय-समहू के तर पर इन उप म क वाभावक ससु ंगतता सतत अधक प ट होती जा रह है। यह उन थान से अधक कहं और प ट नह ं है जहां बढ़ती सं या म लोग यास क एक ंखृ ला म संल न हो रहे ह, िजनम से येक भधमु क समाज-नमाण शि त को नमु त करने का एक साधन है।

इन बारह महन म, जो नौ वषय योजना के आरंभ स े अब तक बीत चकु े ह, हम यह

देखकर स नता हुई है क कस कार इस वैि वक आ याि मक उ यम ने म को ेरत कया है एवं ऊजा से भर दया है, और काय क वश ट परेखाओं को संवेग दया है।

त काल यान क त कया गया है, उन योजनाओं को लाग ू करने पर, जो यह सुनि चत करती ह क येक देश और े म, कम से कम एक समदु ाय-समहू उभरे जहां तीसरा मील का प थर पार कर लया गया हो: ऐसा थान जहां बड़ी सं या म लोग एक साथ काम कर रहे ह और एक जीवंत समदु ाय के जीवन म योगदान दे रहे ह। य यप, इसके त सजग रहते हुए क इस प चीस वष क अवध का ल य व व के हर समुद ाय-समहू म सघन वकास काय म थापत करना है, अनयु ायय ने भधु म के लए नए समदु ाय-समहू को खोलने के साथ-साथ मौजदू ा वकास काय म वाले थान पर अपने यास को तेज करना भी तय कया है। व व के सभी भाग म पायनीयर के लए उभरते अवसर के संबंध म जाग कता बढ़ है - अनेक समपत आ माएं इस बात पर वचार कर रह ह क वे इस अवसर का यु र कैसे दे सकती ह, और अनेक अ य लोग पहले ह पायनीयरगं के थान पर पहुँच गए ह, अ छ सं या म होम ंट पर, साथ ह बढ़ती सं या म अंतररा य तर पर भी। यह उन अनेक तरक म से एक है िजसके वारा, जैसा क हमने आशा क थी, हर जगह के म वारा

पार परक समथन क भावना य त क जा रह है। िजन समुद ाय म शि त का नमाण हो गया है, वे अपने आप को एक अलग थान म - एक अ य समदु ाय-समहू , े , देश, यहां तक क महा वीप म भी - हो रह गत का समथन करने के लए तब ध कर चकु े ह; और

रचना मक साधन दरू से ो साहन देने और अनुभव को य साझा करने म स म पाए गए ह। इस बीच, एक समदु ाय-समहू म अिजत सीख को सँजोने के मूल वध का यापक प से यवहार म लाया जाता है, ताक यह वहाँ के और अ य थान के योजना नमाण को सूचत कर सके। हम यह देखकर कृताथ हुए ह क यह सीखने पर वशेष यान दया जा रहा है क सं थान वारा दान कए जाने वाले शै क अनभु व क गणु व ा म कैसे वृ ध क जाए। जब सं थान या एक समुदाय म जड़ जमा लेती है, तो इसके भाव नाटकय होते ह। गवाह ह, उदाहरण के लए, सघन गतवध के वे क , जहा ँ के नवासी श ण सं थान को अपने एक शि तशाल उपकरण के प म मानने लगे ह: एक ऐसा उपकरण िजसके सश त वकास क िज मेदार उ हने मुखता स े संभाल ल है। यह अ छ तरह जानते हुए क भधमु के वार सदैव पणू तया खलु े रहते ह, अनयु ायी यह सीख रहे ह क जो लोग वेश करने के लए तैयार ह उ ह कैसे ो साहत कया जाए। ऐसी आ माओं के साथ-साथ चलना, और उ ह दहलज पार करने म मदद करना, एक सौभा य और एक वशेष आनंद है, येक सां कृ तक संदभ म पहचानने और अपनाने के इस त वनत ण क गतशीलता के बारे म बहुत कुछ सीखा जाना है। और बस इतना ह नहं है। जबक अनेक समदु ाय-समहू म सामािजक पांतरण म योगदान करने के यास अपने ारि भक चरण म ह, सदैव क भांत सलाहकार वारा कुशलतापवू क समथत रा य आ याि मक सभाएं, इस संबंध म अधक सीखने क स य कोशश कर रह ह क ये यास समदु ाय-नमाण या से कैसे उभरते ह। परवार के समहू और समदु ाय म लोग के सामािजक और भौतक क याण के बारे म चचा को बढ़ावा दया जाता है, साथ ह म अपने नजदक परवेश म अनावतृ हो रहे साथक संवाद म सहभागता के तरके भी खोज रहे ह। जो कुछ भी हमने वणन कया है, उसके म य यवु ाओ ं के काय द त होते ह। भाव

सौ य हो या अ यथा - भाव के केवल नि य अवशोषक होने से परे - उ हने वयं को योजना का नभक और वचारशील नायक स ध कर दया है। जहा ँ समदु ाय ने उ ह इस काश म देखा है और उनक गत के लए परि थतयाँ बनाई ह, वहाँ यवु ाओं न े उनम दखाए गए भरोसे को कहं अधक उचत ठहराया है। वे अपने म को भुधम क श ा दे रहे ह और सवे ा को अधक साथक म ता का आधार बना रहे ह। अ सर, ऐसी सवे ा अपन े से छोट को श त करने का प लते ी है - उ ह न केवल नैतक और आ याि मक श ा दान करते ह, बि क अ सर उनक कूल श ा म भी सहायता करते ह। सं थान या को मजबतू करने के पव उ रदाय व धारण कए, बहाई यवु ा हमार सजँ ोई आशाओ ंको परू ा कर रहे ह। इन सभी यास के लए परि थतयाँ एक गहन प से अि थर अव था म ह। इस बात को यापक प से वीकार कया जा रहा है क समाज क वतमान संरचनाएं मानवता क

सम याओं का नराकरण करने हेत ु तैयार नहं है। बहुत कुछ िजसे यापक प से नि चत और अडग माना जाता था, उस पर न उठाया जा रहा है, और परणामी व ु धता सभी को एक करने वाल ि ट क लालसा पैदा कर रह है। एकता, समानता और याय के समथन म उठाई गई आवाज का सामूहक वर दशाता है क कतन े लोग अपने समाज के लए इन आकां ाओं को साझा करते ह। बेशक, आशीवादत सदय के अनयु ायी के लए यह कोई आ चय क बात नहं है क उनके वारा तपादत आ याि मक आदश के लए दय को लालायत रहना चाहए। तथाप हम इसे मम पश पात े ह क, एक वष म जब मानवता क सामूहक गत क संभावनाएं बरले ह पहले कभी इतनी अधक धधुं ल दखाई द ह, दस हजार से अधक स मेलन म भधु म का काश आ चयजनक दि त के साथ चमका िजसम लगभग पं ह लाख लोग ने भाग लया, और उ हं आदश को बढ़ावा देने के साधन पर यान क त कया। बहाउ लाह क ि ट, और व व क बेहतर हेतु एकता के साथ काम करने के लए मानवजात को उनका आवाहन, वह क था िजसके चार ओर समाज के ववध त व उ सकु ता से एक हुए

- और कोई आ चय नहं, जसै ा 'अ दलु बहा' ने समझाया, "व व का हर समदु ाय इन द य श ाओं म अपनी उ चतम आकां ाओं क अभ यि त पाता है।" मानवता के कुछ शभु चतं क

ारंभ म वु ीकृत और लकवा त व व से परे एक आ य पाने के लए शरण थल के प म बहाई समदु ाय के त आकषत हो सकते ह। तथाप, एक शरण थल से आगे, वे पाते ह क ये आ माऐं कुटु ब क तरह एक साथ मलकर व व के नवीन नमाण के लए म कर रह ह। स मेलन के भौगोलक व तार के बारे म बहुत कुछ लखा जा सकता है, नई योजना को

उ हने जो असाधारण ो साहन दया, अथवा इसम सि मलत होने वाल के दय से स नता और उ साह क जो अभ यि त हुई। लेकन इन कुछ पंि तय म हम यान आकषत करना चाहते ह क उ हने भधु म के वकास के बारे म या मह व दशाएँ ह। व े उस बहाई समदु ाय के तब ब थे जो भेद नह, ं एक दसू रे को कुटु ब के प म देखता है। इस ि टकोण ने स मेलन म, जहाँ सभी का वागत था, नौ वषय योजना का संधान करना वाभावक बना दया। म ने न केवल यि तय और परवार, बि क थानीय नते ाओ ंऔर अधकारय क संगत म अपने समाज के लए योजना के नहताथ पर वचार कया। इतने सारे लोग को एक साथ एक थान पर लाने से व व भर म अनावतृ हो रह आ याि मक और सामािजक गत के बारे म एक पातं रकार वातालाप के लए परि थतयां उ प न हु । एक समुद ाय समूह म सामदु ायक

वकास के एक व तारत होते पैटन के लए इस तरह के खलु े वचार वाले, उ थानकार और

उ दे यपणू स मेलन का वशेष योगदान हो सकता है, वह बहाई सं थाओं के लए भव य म यान म रखने के लए एक मू यवान सबक है। और इस कार न ठावान क मंडल योजना के दसू रे वष म, वे या ा त करना चाहत े

ह, क साथकता के त एक नवीन ि टकोण और गहन अंत ि ट के साथ वेश करती है। समाज-नमाण क शि त नमु त करने के काश म देखे जाने पर काय कतने अलग से दखते ह! यह यापक संभावना एक सतत चलती गतवध को सेवा के एक अकेले काय या मा आंकड़ से कहं अधक देखने क अनमु त देती है। जगह-जगह पर क जा रह पहल से पता चलता है क एक जन-समदु ाय सीख रहा है क अपने वयं के वकास के पथ पर आगे बढ़ने क बढ़ती िज मेदार को कैसे उठाई जाए। परणामी आ याि मक और सामािजक पातं रण लोग के जीवन म अनेक कार से कट होता है। पछल योजनाओं क शंखृ ला म इसे आ याि मक श ा और सामूहक उपासना के वतन के प म सवाधक प ट प से देखा जा सकता था।

योजनाओं क इस नई खंृ ला म, अ य याओं पर बढ़त े प से यान देने क आव यकता है जो एक समुदाय के जीवन को बेहतर करने का यास करती ह - उदाहरण के लए, सावजनक वा य म सधु ार करने, पयावरण क र ा करने, या कलाओ ं क शि त का अधक भावी ढंग

से उपयोग करने के वारा। एक समदु ाय क भलाई के इन सभी पूर क पहलओु ं को आग े बढ़ान े के लए नि चत प से आव यक है, इन सभी े म यवि थत सीख म संल न होने क मता - एक मता जो दैवीय श ाओं और वै ानक जाचं से उ प न मानव ान के संचत भडं ार से उ प न होने वाल अतं ि ट को आकषत करती है। जैसे-जैसे यह मता बढ़ेगी, आने वाले दशक म बहुत कुछ ा त कया जाएगा। इस व तारत, समाज-नमाण ि ट के दरू गामी नहताथ ह। येक समदु ाय इसक ाि त के लए अपने वय ं के पथ पर है। क तु एक े क गत म बहुधा दसू रे े क गत के साथ समान वशेषताएँ होती ह। एक वशषे ता यह है क, जसै े-जैसे मताऐं बढ़ती है

और एक थानीय या रा य समदु ाय क शि तया ं गुणत हगी, तब समय आने पर, हमारे रजवान 2012 संदेश म वणत, एक मशरकुल-अजकार के उ भव के लए आव यक शत अतं तः

परू हो जाएंगी। जैसा क हमने आपको पछले रजवान के अपने संदेश म नद ट कया था, हम समय-समय पर उन थान क पहचान करगे जहां एक बहाई मंदर का नमाण कया जाना है। हम इस समय, कंचनपरु , नपे ाल, और यूनलुंग ा, जाि बया म थानीय उपासना गहृ क थापना का आ वान करत े हुए स नता हो रह है। इसके अतर त, हम कनाडा म टोरंटो म

लंबे समय से थापत रा य हजरतलु -कुदस के समीप े म एक रा य उपासना गहृ बनाने का आ वान करते ह। ये परयोजनाएँ, और भव य म शु क जाने वाल अ य परयोजनाएँ, येक भूम म म वारा मंदर-कोष को दान क गई सहायता से लाभाि वत हगी। चुर ह वे आशीवाद जो एक परम-उदार वामी न े अपन े यजन को दान करने के लए

चुने ह। बलु ंद है आ वान, भ य ह संभावनाएं। अ प है समय िजसम हम सभी का सवे ा करने के

लए आ वान कया गया है। भावो ेिजत ह वे ाथनाएँ, िजनके वारा, आपक ओर से और

आपके अथक यास के लए, बहाउ लाह क दहलज़ पर हम याचना करत

 

Windows / Mac