दिवंगतों के लिये इस प्रार्थना का पाठ केवल वैसे मृतकों के लिये करें जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष से अधिक है। ”यह एकमात्र प्रार्थना है, जो समूह में कही जाती है। यह प्रार्थना एक अनुयायी द्वारा कही जाती है जबकि अन्य सभी जो उस स्थान पर उपस्थित हैं, खड़े रहते हैं। इस प्रार्थना का पाठ करते समय किब्ले की ओर मुँह करना आवश्यक नहीं है।“
- Bahá'u'lláh
हे मेरे ईश्वर! ये तेरा सेवक है और तेरे सेवक का पुत्र है जिसने तुझ पर और तेरे चिन्हों में आस्था रखी है और जो तेरी ओर उन्मुख हुआ है तथा जो तेरे अतिरिक्त अन्य सब कुछ से अनासक्त हो चुका है। तू सत्य ही उन सब से, जो दया करते हैं, परम दयालु हैं।
हे तू, जो मनुष्यों के पापों को क्षमा करता है और उनके दोषों पर पर्दा डालता है, इसके साथ वैसा ही व्यवहार कर, जैसा कि तेरी उदारता के आकाश और तेरी कृपा के महासागर को शोभा देता है। अपनी ज्ञानातीत दया की परिधि में, जो धरती और आकाश की स्थापना से पहले भी विद्यमान थी, इसे प्रवेश दे। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है, तू है सदा क्षमाशील; परम उदार !
*(इसके बाद महानतम नाम (अल्लाह-हो-अब्हा) अभिवादन का एक बार उच्चारण करने के बाद 19-19 बार दिये गये छंदों का निम्न प्रकार पाठ करें)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर की आराधना करते हैं।
*(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के सम्मुख नमन करते हैं।
*(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के प्रति आस्थावान हैं।
*(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर की स्तुति करते हैं।
*(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।
*(19 बार)
अल्लाह-हो-अब्हा (एक बार)
हम सब सत्य ही, ईश्वर के प्रति धैर्यवान हैं ।
*(19 बार)
*(यदि दिवंगत आत्मा नारी है, तो प्रार्थना करने वाला कहे ”यह तेरी सेविका और तेरी सेविका की पुत्री है“ इत्यादि!)
- Bahá'u'lláh
महिमा हो तेरी, हे ईश्वर, मेरे ईश्वर! अपनी अनन्त प्रभुसत्ता की शक्ति के सहारे जिसे तूने ऊपर उठाया है उसे गिरने न दे और जिसे तूने अपनी अनन्तता के मण्डप तले प्रवेश के योग्य बनाया है उसे अपने से दूर न रख। हे मेरे ईश्वर! क्या तू उसे अपने से दूर रखेगा, जिसे तूने अपनी प्रभुता की छाया दी है ? हे मेरी आकांक्षा! क्या तू उसे अपने से दूर कर देगा जिसके लिये तू आश्रय रहा है। जिसे तूने ऊपर उठाया है उसे तू नीचे नहीं गिरा सकता, जो तुझे याद करता रहा, क्या तू उसे भुला सकता है?
महिमा हो, सर्व महिमा हो तेरी! तू वह है जो अनन्तकाल से सम्पूर्ण सृष्टि का सम्राट रहा है और रहा है इसका गतिदाता और तू ही सदा रहेगा सभी सृजित वस्तुओं का स्वामी तथा नियंता। तू महिमावंत है, हे मेरे ईश्वर! यदि तू अपने सेवकों पर दया करना छोड़ देगा तो कौन उन पर दया करेगा? यदि तू अपने प्रियजनों को सहायता देना बंद कर देगा तो कौन है दूसरा जो सहायता दे सकेगा?
महिमा हो, सर्व महिमा हो तेरी। तू सत्य से अभीष्ट है और सत्य ही, हम सभी तेरी आराधना करते हैं, तू अपने न्याय में प्रकट है और सत्य ही हम सब इसके साक्षी है औैर सत्य ही, तू अपनी अनुकम्पाओं में प्रिय है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं, संकट में सहायक, स्वयंजीवी।
- Bahá'u'lláh
हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! निश्चय ही तेरा यह सेवक तेरी दिव्य सर्वोच्चता के सम्मुख विनीत, तेरी एकता के द्वार पर विनत है; इसने तुझमें और तेरे छंदों में विश्वास किया, तेरे पावन शब्दों का साक्ष्य दिया है, तेरे प्रेम के प्रकाश से इसका पथ आलोकित हुआ है, तेरे ज्ञान के महासागर की अतल गहराइयों में जो खोया रहा है, जो तेरे पवन-झकोरों की ओर बढ़ा है, जिसने तुझ पर भरोसा किया है, जो तेरी ओर उन्मुख हुआ है, जिसने तेरी आराधना की और जो तेरी क्षमा के लिये आश्वस्त है।
इसने अपना भौतिक देहरूपी चोला छोड़ दिया है और इस चाह के साथ कि तुझसे मिलन होगा, अमरता के साम्राज्य की ओर प्रयाण किया है।
ईश्वर! इसे महिमामण्डित कर, अपनी सर्वोच्च दया के मण्डप तले इसे आश्रय दे, अपने महिमाशाली स्वर्ग में प्रवेश करा और अपनी गुलाब वाटिका में इसके अस्तित्व को सुनिश्चित कर, ताकि रहस्यों के लोक में यह प्रकाश-सिंधु में निमग्न हो जाये।
सत्य ही तू उदार, शक्तिशाली, दाता और क्षमादाता है।
- `Abdu'l-Bahá
हे मेरे ईश्वर! हे तू पापों को क्षमा करने वाले, उपहारों के प्रदाता, व्याधियों को दूर करने वाले!
सत्य ही, मैं तुझसे याचना करता हूँ कि तू उनके पापों को क्षमा कर दे जो इस भौतिक परिधान को त्याग कर आध्यात्मिक लोक में आरोहण कर गये हैं।
हे मेरे स्वामी! उन्हें सीमा के उल्लंघनों से पवित्र कर दे, उनके दुःखों को दूर कर दे, और उनके अंधकार को प्रकाश में परिवर्तित कर दे। उन्हें आनन्द उद्यान में प्रवेश करा, परम पावन जल से उन्हें स्वच्छ कर दे, और उन्हें अनुमति दे कि वे उच्चतम पर्वत पर तेरी भव्यताओं के दर्शन कर सकें।
- `Abdu'l-Bahá