हे मेरे ईश्वर! अपनी अनन्तता की सुवासित जलधाराओं में से मुझे पान करने दे और अपने अस्तित्व के वृक्ष के फलों का स्वाद चखने योग्य मुझे बना, हे मेरी आशा! मुझे अपने प्रेम के स्फटिक निर्मल झरनों से घूंट भरने दे मुझे, हे मेरी महिमा! और अपने अनन्त मंगल विधान की छत्रछाया में मुझे विश्राम करने दे, हे मेरी ज्योति! अपनी निकटता के उपवन में, अपने सान्निध्य में, मुझे विश्राम करने योग्य बना, हे मेरे प्रियतम! और अपने सिंहासन की दाहिनी भुजा पर मुझे बैठा, हे मेरी कामना अपने उल्लास के सुवासित झकोरों का एक झोंका मुझ पर से बह जाने दे, हे मेरे लक्ष्य! अपने सत्य के आकाश की ऊँचाइयों में मुझे प्रवेश पाने दे, हे मेरे आराध्य! अपनी एकता की दिव्य कोकिला की मधुर स्वर-लहरी को सुन पाने का अवसर दे मुझे, हे देदीप्यमान ईश्वर! अपनी शक्ति और सामर्थ्य की चेतना से मुझे अनुप्राणित कर दे, हे मेरे विश्वम्भर! अपने प्रेम में मुझे अटल बना, हे मेरे सहायक! और अपनी सुप्रसन्नता के पथ में मेरे पगों को अडिग रख, हे मेरे स्रष्टा! अपनी अमरता के उपवन में, अपने मुखारविन्द के सम्मुख सदा निवास करने दे मुझे, हे तू जो सदासर्वदा मुझ पर दयालु है! और अपनी महिमा के आसन पर मुझे प्रतिष्ठित कर, हे तू, जो मेरा स्वामी है! अपनी प्रेममयी कृपा के आकाश तक मुझे उड़ान भरने दे, हे मेरे जीवनाधार! और अपने मार्गदर्शन के सूर्य से मेरा पथ आलोकित कर, हे मनमोहन! अपनी अदृश्य चेतना से मेरा साक्षात्कार करा, हे तू जो मेरा उद्गम है और मेरी सर्वोपरि इच्छा है; और अपने सौन्दर्य की सुरभि के सार तक मुझे लौटने दे, हे तू जो मेरा ईश्वर है! तुझे जो प्रिय है, वह करने में तू समर्थ है। तू, सत्य ही, परम उदात्त, सर्वमहिमामय, सर्वोच्च है।
- Bahá'u'lláh
हे मेरे ईश्वर, मुझमें एक शुद्ध हृदय का सृजन कर, और मुझमें एक प्रशांत अंतःकरण का नवीनीकरण कर, हे मेरी आशा! अपनी शक्ति की चेतना से मुझे अपने धर्म में दृढ़ कर, हे मेरे परम प्रियतम, अपनी महिमा के प्रकाश से मेरे समक्ष अपना पथ आलोकित कर, हे तू, मेरी आकांक्षा के लक्ष्य! अपनी सर्वातीत शक्ति से अपनी पावनता के आकाश तक मुझे ऊपर उठा, हे मेरे अस्तित्व के स्रोत और अपनी शाश्वतता के समीरों से मुझे आनन्दित कर दे, हे तू, जो मेरा ईश्वर है! अपने अनन्त स्वर माधुर्य से मुझे प्रशांति प्रदान कर, हे मेरे सखा, और तेरे पुरातन स्वरूप की सम्पदा मुझे तेरे अतिरिक्त अन्य सभी से विमुक्त कर दे, हे मेरे स्वामी! और तेरे अविनाशी सार की अभिव्यक्ति के सुसामाचार से मुझे आह्लादित कर दे, हे तू जो प्रकटों में परम प्रकट और निगूढ़ों में परम निगूढ़ है!
- Bahá'u'lláh
वह कृपालु, सर्वउदार है! हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! तेरी पुकार ने मुझे अपनी ओर आकृष्ट किया है और तेरी महिमा की लेखनी ने मुझे जाग्रत किया है। तेरे पावन वचन के निर्झर ने मुझे आनन्दविभोर कर दिया है और तेरी प्रेरणा की मदिरा ने मुझे सम्मोहित कर दिया है। हे ईश्वर! तू देखता है मुझे, तेरे अतिरिक्त अन्य सबसे विरक्त, तेरे आशीषों की डोर से बंधा हुआ और तेरी अनुकम्पा के चमत्कारों के लिये आकुल-व्याकुल मन-प्राण लिये, तेरी स्नेहसिक्त कृपा के उमड़ते सागर और तेरे संरक्षण के दमकते प्रकाश के नाम से मैं तेरी विनती करता हूँ कि तू ऐसा वर दे जो मुझे तेरे समीप ले जाये और तेरे नाम-रत्न का धनी बना दे। मेरी जिह्वा, मेरी लेखनी, मेरा तन-मन तेरी शक्ति, तेरी सामर्थ्य, तेरी अनुकम्पा और तेरी कृपा का प्रमाण दे रहे हैं कि तू ही ईश्वर है और तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं, शक्तिसम्पन्न, सामर्थ्यवान।
- Bahá'u'lláh
हे मेरे ईश्वर, मैं इस क्षण साक्षी देता हूँ अपनी निरीहता और तेरी सर्वोपरि सत्ता, अपनी दुर्बलता और तेरी शक्तिमानता की। मैं नहीं जानता कि मेरे लिये क्या है लाभकारी और क्या है हानिकर। तू, सत्य ही, सर्वज्ञाता, सर्वप्रज्ञ है। हे मेरे ईश्वर, मेरे स्वामी, तू मेरे लिये उसका विधान कर जो मुझे तेरे पुरातन आदेश में संतुष्टि की अनुभूति कराये और मुझे तेरे प्रत्येक लोक में समृद्धि दिलाये। तू, सत्य ही, दयालु, और प्रदाता है।
हे स्वामी! मुझे अपनी सम्पदा के महासागर और अपनी कृपा से दूर मत हटा और मेरे लिये इहलोक तथा परलोक के शुभ-मंगल का विधान कर। वस्तुतः, तू दया के परमोच्च सिंहासन का स्वामी है, तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है, एकमेव, सर्वज्ञाता, सर्वप्रज्ञ!
- Bahá'u'lláh
हे मेरे स्वामी! अपने सौंदर्य को मेरा भोज्य, अपनी निकटता को मेरा जीवन-जल, अपनी सुप्रसन्नता को मेरी आशा, अपनी स्तुति को मेरा दैनिक कर्म, अपने स्मरण को मेरा साथी, अपनी सम्प्रभुता शक्ति को मेरा सहायक, अपने आलय को मेरा आश्रयस्थल और अपने उस स्थान को मेरा निवास बना जहाँ वैसे लोगों का प्रवेश वर्जित है जो एक पर्दे के कारण तुमसे परे हैं।
सत्य ही तू, सर्वसामर्थ्यमय, सर्वमहिमामय, सर्वशक्तिशाली है।
- Bahá'u'lláh
तेरे ही नाम की स्तुति हो, हे ईश्वर, मेरे ईश्वर! मैं तेरा वह सेवक हूँ जिसने तेरी करुणामयी दया के आँचल को थाम लिया है और जो तेरी असीम दातारपन के आंचल से लिपट गया हूँ। तेरे नाम से जिसके द्वारा तूने सृष्टि की समस्त दृश्य तथा अदृश्य वस्तुओं को अपने अधीन किया है और जिसके द्वारा यह श्वांस, जो वस्तुतः जीवन ही है, समस्त सृष्टि में प्रवाहित की गई है, मैं याचना करता हूँ कि तू धरती तथा आकाश को आवृत करने वाली अपनी शक्ति से मुझे सबल बना और समस्त विपदाओं एवं रोगों से मेरी रक्षा कर। मैं साक्षी देता हूँ कि तू ही समस्त नामों का स्वामी है और तू वैसी ही आज्ञा देने वाला है जो तुझे प्रिय हो, तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं, सर्वशक्तिशाली, सर्वज्ञाता, सर्वप्रज्ञ!
हे मेरे स्वामी! मेरे लिये उसका विधान कर जो तेरे प्रत्येक लोक मे मेरे लिये कल्याणकारी हो। और तब मेरे लिये वह भेज जो तूने अपने चुने हुए प्राणियों के लिये निर्धारित किया है: ऐसे प्राणी, जिन्हें न तो दोष देने वालों का दोषारोपण, न ही अधर्मियों का कोलाहल और न ही तुझसे विमुख प्राणियों की आसक्तियाँ तेरी ओर उन्मुख होने से रोक सकी है।
तू सत्य ही, अपनी सर्वोपरि सत्ता से, संकट में सहायक है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है, परम बलशाली, सर्वशक्तिमान।
- Bahá'u'lláh
हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! यह तेरा सेवक तेरी ओर बढ़ चला है। तेरे प्रेम के पथ में विचरण कर रहा है। तेरी उदारताओं की आशा करते हुए तेरे साम्राज्य पर भरोसा रखे हुए और तेरे वरदानों की मदिरा से मदहोश होकर तेरे प्रेम की मरूभूमि में भावना के उन्माद में भटक रहा है, तेरे अनुग्रहों की अपेक्षा रखे हुए। हे मेरे ईश्वर! अपने प्रति अनुराग की उसकी प्रचंडता को, तेरी स्तुति की इस निरंतरता को और तेरे प्रति प्रेम की प्रखरता को बढ़ा दे।
निश्चय ही तू परम उदार, भरपूर कृपा का स्वामी है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है। सदा क्षमाशील, सर्वदयामय।
- `Abdu'l-Bahá
हे ईश्वर, मेरे ईश्वर! अपने प्रियजनों को अपने धर्म में अडिग रहने, अपने पथ पर चलने और ईश्वरीय धर्म में अडिग रहने में सहायता कर; अहम् और वासना के आवेग को दमित करने की शक्ति प्रदान कर ताकि वे दिव्य मार्गदर्शन के पथ का अनुसरण कर सकें। तू शक्तिशाली, महिमावान, स्वनिर्भर, दाता, दयालु, सर्वसमर्थ और सर्वप्रदाता है।
- `Abdu'l-Bahá