हे तू, जिसका मुखड़ा मेरी आराधना का लक्ष्य है, जिसका सौन्दर्य मेरा अभयस्थल है, जिसका आवास मेरा ध्येय है, जिसकी स्तुति मेरी आशा है, जिसका मंगल विधान मेरा सहचर है, जिसका प्रेम मेरे अस्तित्व का कारण है, जिसका स्मरण मेरी आशा है, जिसकी निकटता मेरी इच्छा है, जिसकी समीपता मेरी सर्वाधिक प्रिय इच्छा और सर्वोच्च आकांक्षा है। मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे उन वस्तुओं से वंचित न कर, जिसका विधान तूने अपने चुने हुए सेवकों के लिये किया है। अतः, मुझे इहलोक और परलोक का शुभ प्रदान कर।
सत्यतः, तू ही, समस्त मानवजाति का सम्राट है। तू सदा क्षमाशील, परम उदार है, तेरे अतिरिक्त अन्य कोई ईश्वर नहीं है !
- Bahá'u'lláh
मेरे ईश्वर, मेरे आराध्य, मेरे राजाधिराज, मेरी कामना! कौन सी जिह्वा तेरा धन्यवाद कर सकती है। मैं असावधान था, तूने मुझे जगाया। मैं तुझसे विमुख हो गया था, तूने मुझे अपनी ओर उन्मुख होने में सहायता दी, मैं तो मृतप्राय था, तूने मुझे जीवन के जल से चैतन्य किया। मैं मुरझा गया था, तूने उस सर्वदयामय की लेखनी से प्रवाहित अपनी वाणी की दिव्य धार से फिर से जीवन का दान दिया।
हे दिव्य मंगल विधान! समस्त अस्तित्व तेरे दातारपन से उत्पन्न हुए हैं, उसे अपनी उदारता के जल से वंचित मत कर और न ही तू उसे अपनी दया के महासिंधु तक आने से रोक। मैं तुझसे याचना करता हूँ कि सभी कालों और सभी परिस्थितियों में मुझे सहारा दे, मेरी सहायता कर। मैं तेरी कृपा के आकाश से तेरी उस पुरातन कृपा की कामना करता हूँ। तू सत्य ही, अक्षय सम्पदाओं का ईश्वर है और चिरंतनता के साम्राज्य का सम्प्रभु स्वामी है।
- Bahá'u'lláh
कहो, हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! मेरे मस्तक को न्याय के मुकुट से और मेरे ललाट को समता के आभूषण से विभूषित कर दे। तू सत्य ही, वरदानों और अक्षय सम्पदाओं का अधीश्वर है।
- Bahá'u'lláh
हे ईश्वर! तेरे परम महिमाशाली नाम पर मैं तुझसे याचना करता हूँ कि तू उस कार्य में मेरी सहायता कर जो तेरे सेवकों के कार्यकलापों को ऋद्धि-सिद्धि दे और तेरे नगरों को समृद्धि दे। सत्य ही, तेरी शक्ति का आधिपत्य सभी वस्तुओं पर है।
- Bahá'u'lláh
हे मेरे ईश्वर, मेरे स्वामी और मेरे मालिक! मैंने अपने बंधु-बाँधवों से स्वयं को अनासक्त कर लिया है और तेरे माध्यम से धरती पर निवास करने वालों से स्वतंत्र होने की इच्छा की है; सदा वह प्राप्त करने के लिये तत्पर रहा हूँ जो तेरी दृष्टि में प्रशंसनीय है। मुझे वह शुभ प्रदान कर जो मुझे तेरे अतिरिक्त अन्य सभी से स्वतंत्र कर दे तथा मुझे अपने अपार अनुग्रहों का प्रचुर हिस्सा प्रदान कर। वस्तुतः तू अपार कृपा का स्वामी है।
- The Báb
हे ईश्वर! हम दयनीय हैं, हमें अपनी दया का दान दे। हम दरिद्र हैं, अपनी सम्पदा के महासागर से हमें एक अंश प्रदान कर; हम अभावग्रस्त हैं, हमारी आवश्यकता पूरी कर; हम पतित है, अपनी महिमा प्रदान कर। नभचर के पक्षी और धरती के पशु प्रतिदिन अपना आहार तुझसे ही प्राप्त करते हैं, और सभी प्राणी तेरी सार-सम्भाल और प्रेमपूर्ण कृपालुता का भाग पाते हैं।
इस निर्बल को अपनी अलौकिक कृपा से वंचित न कर और इस असहाय आत्मा को अपनी शक्ति के द्वारा अपनी अक्षय सम्पदाओं का दान दे।
हमें हमारा नित्य-प्रति का आहार प्रदान कर और हमारे जीवन की आवश्यकताओं को अपनी ऋद्धि-सिद्धि का दान दे, जिससे हम तेरे सिवा अन्य किसी पर निर्भर न रहें, पूर्णतया तेरे ही स्मरण में लीन रहें, तेरे पथ पर चलें, और तेरे रहस्यों को उजागर करें। तू सर्वशक्तिमान, सबको प्रेम करने वाला और मानवजाति का पालनहार है।
- `Abdu'l-Bahá
हे तू दयालु ईश्वर! हम तेरी पावन देहरी के सेवक हैं, तेरे पावन द्वार का आश्रय लिये हुए हैं। हम इस सुदृढ़ स्तम्भ के अतिरिक्त अन्य किसी की आश्रय की चाह नहीं रखते, तेरी सुरक्षा भरी देखभाल के अतिरिक्त किसी अन्य आश्रय की ओर नहीं मुड़ते। अतः हमारी रक्षा कर, हमें आशीष दे, हमें सहारा दे। हमें ऐसा बना दे कि जो तुझे प्रिय है उसके अतिरिक्त किसी अन्य से प्रेम न करें, केवल तेरी ही स्तुति करें, सदा सत्य के मार्ग पर चलें, हम इतने समृद्ध हो जायें कि तेरे अतिरिक्त अन्य सभी को त्याग सकें, हम तेरी कृपा के सागर से अपना भाग पायें, हम तेरे धर्म को उच्चता प्रदान करने और तेरी सुमधुर सुरभि को दूर-दूर तक फैलाने के प्रयासों में जुट जायें, हम अपने अहम् को भूल जायें और केवल तुझमें ही रम जायें और तेरे अतिरिक्त अन्य सब का त्याग कर तुझमें ही तल्लीन रहें।
तू दाता, क्षमाशील है! हमें अपनी अनुकम्पा और स्नेहिल कृपा प्रदान कर, अपने उपहार दे, हमारा पोषण कर, ताकि हम अपने लक्ष्य को पा सकें। तू शक्तिसम्पन्न, सुयोग्य, ज्ञाता और दिव्य द्रष्टा है। सत्य ही तू उदार है, सत्य ही तू सर्वकृपालु है और सत्य ही तू सदा क्षमाशील है। तू वह है जिसके समक्ष पश्चाताप करने वाले के समस्त पापों को भी तू क्षमा का दान दे देता है।
- `Abdu'l-Bahá
हे स्वामी! तेरे नाम पर बिछाये गये इस आनन्दमय पटल को हटा मत और उस प्रज्ज्वलित शिखा को, जो तेरी कभी न बुझने वाली अग्नि द्वारा प्रज्वलित की गई है, बुझा मत। उस प्रवाहमान जीवंत जल को, जो तेरी महिमा और तेरे स्मरण की सुमधुर ध्वनि को गुंजरित करते हैं, प्रवाहित होने से मत रोक और अपने सेवकों को अपने प्रेम से सुवासित तेरी मधुर सुगंध की सुरभि से वंचित मत कर।
हे स्वामी! अपने विशुद्धजनों की कष्टदायक चिन्ताओं को दूर कर, उनकी कठिनाइयों को सुख में, उनके अपमान को महिमा में, उनके शोक को आनन्द में बदल दे। हे तू, जो अपनी मुट्ठी में सम्पूर्ण मानवता की नियति की ड़ोर थामे हुए है। तू सत्य ही एकमेव, सामर्थ्यशाली, सर्वज्ञाता, सर्वप्रज्ञ है।
- `Abdu'l-Bahá
हे मेरे ईश्वर, मेरे प्रियतम, मेरी आकांक्षा! मेरे एकाकीपन में मेरा सखा और मेरी इस निष्कासित अवस्था में मेरा संगी बन, मेरे शोक का निवारण कर, ऐसी कृपा कर कि मैं तेरी कीर्ति को समर्पित हो जाऊँ। अपने अतिरिक्त अन्य सब कुछ से मुझे विरक्त कर दे। अपनी पावनता की सुरभि द्वारा मुझे आकर्षित कर ले। ऐसी कृपा कर कि मैं तेरे लोक में उनका संगी बनूं, जो तुझे छोड़ अन्य सभी से अनासक्त हैं, जो तेरी पावन देहरी की सेवा की कामना रखते हैं और जो तेरे धर्म का कार्य करने के लिये कटिबद्ध खड़े हैं। मुझे सामर्थ्य दे कि मैं तेरी उन सेविकाओं में एक बन जाऊँ, जिन्होंने तेरी मंगलमय प्रसन्नता प्राप्त की है। सत्य ही, तू कृपालु है, उदार है।
- `Abdu'l-Bahá
हे दिव्य विधानकर्ता! हम दया के पात्र हैं, हमें अपनी सहायता दे, घर विहीन बटोही हैं हम, अपनी शरण का दान दे, बिखरे हुए हैं हम, तू हमें एक कर दे, हम भटके हुए राही हैं, अपनी शरण में ले ले हमें, हम वंचित हैं, हमें अपना अंश मात्र दे दे, हम प्यासे हैं, हमें जीवन-सरिता की राह दिखा दे, हम दुर्बल हैं, हमें सबल बना दे, ताकि हम तेरे धर्म की सहायता हेतु उठ खड़े हों और तेरे मार्गदर्शन की राह पर चलकर अपना जीवन न्योछावर कर सकें।
- `Abdu'l-Bahá
हे ईश्वर! हम निर्बल हैं, हमें सबल बना। हम अज्ञानी हैं, हमें ज्ञानवान बना। हे स्वामी ! हम दरिद्र हैं, हमें सम्पन्न बना। हे ईश्वर! हम प्राणहीन हैं, हमें चैतन्य से अनुप्राणित कर। हे स्वामिन्! हम मूर्तिमान दीनता हैं, अपने साम्राज्य में हमें महिमावन्त बना! हे ईश्वर! यदि तू हमें सहायता नहीं देगा तो हम मिट्टी से भी अधम बन जायेंगे। हे स्वामी! हमें शक्तिमय बना, हे ईश्वर! हमें विजय प्रदान कर। हे ईश्वर, हमें अहम् को जीतने और वासनाओं को वश में करने में समर्थ बना। हे स्वामी! इस भौतिक जगत के बंधनों से हमें मुक्त कर। हे स्वामी! अपनी पावन चेतना के उच्छ्वास से हममें जीवन का चैतन्य भर, जिससे हम तेरी सेवा करने को उठ खड़े हों, तेरी उपासना में संलग्न हो जायें, और अत्यधिक सत्यनिष्ठा सहित, तेरे राज्य की सेवा के प्रयासों में जुट जायें। हे ईश्वर! तू शक्तिशाली, क्षमाशील, करूणामय है!
- `Abdu'l-Bahá
हे तुम, जो ईश्वर की ओर उन्मुख हो रहे हो! अपने नेत्र अन्य सभी वस्तुओं के प्रति मूंद लो और उस सर्वमहिमामय के साम्राज्य के प्रति उन्हें खोल लो। तुम्हारी जो कुछ भी कामना हो, केवल एक उसी से मांगो, जो कुछ भी तुम पाना चाहो, केवल उसी से याचना करो। एक दृष्टि में ही वह लाखों आशाओं की पूर्ति करता है, एक नज़र से ही वह हर घाव पर शीतल मरहम लगा देता है, एक संकेत मात्र से ही वह शोक की बेड़ियों से हृदयों को सदा के लिए मुक्त कर देता है। वह जो करता है, करता ही है और हमारे पास कौन सा उपाय है? जो उसकी इच्छा होती है वह उसे पूरा करता है, जो उसे प्रिय होता है वह वैसा ही विधान प्रकट करता है। तब तुम्हारे लिये यही उचित है कि तुम अधीनता में अपना सर झुका लो और सर्वदयामय ईश्वर में सम्पूर्ण भरोसा रखो।
- `Abdu'l-Bahá